गुरुवार, 26 सितंबर 2013

10 साल में 200000 लाख करोड का अवैध खनन

भोपाल। शिवराज के राज में माइनिंग माफिया ने बेल्लारी की लूट के रिकॉर्ड भी तोड़ दिए हैं। बीते 10 साल में मध्य प्रदेश में करीब 2 लाख करोड रूपए की कीमत का अवैध उत्खनन किया गया है। अकेले ग्वालियर और मुरैना में 25 हज़ार करोड़ रुपए की पत्थर और रेत की अवैध खुदाई का रिकॉर्ड सामने आया है। ग्वालियर के तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक ने अपनी चिटठी में इसका खुलाशा किया है। दरअसल मध्य प्रदेश में अवैध खनन माफिया ने लूट के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और इसमें वो अफसर भी शामिल हैं, जिन पर इसे रोकने की जिम्मेदारी है। इसका खुलासा खुद एक आईएएस ने किया है। जिसे जुबान खोलने की बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। मुख्य वन संरक्षक आजाद सिंह डबास ने सरकार को माफिया-अफसर गठजोड़ से आगाह किया। लेकिन सरकार ने इस पर कार्रवाई तो दूर, खुद डबास को ही निलंबित कर दिया। ग्वालियर वनमंडल में बीते 10 सालों में लगभग 10 करोड़ घनमीटर पत्थर का अवैध खनन हुआ है। कुल 15 हज़ार करोड़ रुपए के पत्थर का अवैध खनन हुआ। ज्यादातर उत्खनन ष्ठस्नह्र दिलीप कुमार के समय में हुआ है। मुरैना वनमंडल में बीते 5 साल में ही करीब 10 हजार करोड़ रुपए के पत्थर और रेत का अवैध खनन हो चुका है। रेत माफिया पर 263 करोड़ का जुर्माना मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के राज में नदियों से जमकर रेत की अवैध खुदाई चल रही है। हालात यह है कि भिंड में कलेक्टर ने अवैध रेत खनन पर 263 करोड़ का जुर्माना किया है। इसके पहले शिवराज के गृह जिले सीहोर में एक कंपनी को 490 करोड़ की रेत अवैध तरीके से निकालने के लिए नोटिस दिया गया था। ये हाल तब है जब कुछ दिन पहले ही ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नदी के किनारे बिना लाइसेंस रेत निकालने पर रोक लगा दी थी। जुर्माने की सजा झेलने वाले रवि मोहन नाम के शख्स का लाइसेंस 7 महीने पहले ही खत्म हो चुका था और बावजूद इसके उसका खनन का कारोबार चालू था। हैरानी की बात ये है कि खनन विभाग कलेक्टर की कार्रवाई पर पीठ ठोकने के बजाय सवाल उठा रहा है। भिंड के जिला दण्डाधिकारी सीबी चक्रवर्ती के मुताबिक जांच रिपोर्ट में रवि मोहन त्रिवेदी को नोटिस देने के बाद ज्यादा रेत पाई गई। इसलिए 263 करोड़ का नोटिस दिया गया है। जबकि माइनिंग कॉर्पोरेशन अध्यक्ष रामेश्वर शर्मा का कहना है कि अगर वास्तव में स्टोर करने वाला दोषी है तो उसपर जो जुर्माना है कलेक्टर ले। लेकिन अगर सिर्फ वाहवाही और सुर्खियां बटोरने का धंधा अगर अधिकारी कर रहे हैं तो इसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए। गौरतलब है कि ये कहानी महज भिंड तक सीमित नहीं है। जबलपुर, होशंगाबाद, सीहोर और देवास जिलों में भी रेत माफिया का राज है। सीहोर जिले में रेत निकालने वाली कंपनी शिवा कॉर्पोरेशन पर डेढ़ साल पहले नसरूल्लागंज के एसडीएम और खनिज अधिकारी ने शिवा कॉर्पोरेशन को अवैध रेत खनन के चलते 490 करोड़ रुपए का नोटिस दिया तो उनका तबादला कर दिया गया। साल भर पहले मुख्य वन संरक्षक आजाद सिंह डबास ने मुरैना में 25,000 करोड़ की पत्थर और रेत की अवैध खुदाई का खुलासा किया, लेकिन शिवराज सरकार ने उक्त अधिकारी को ही सस्पेंड कर दिया था। हालांकि केन्द्र सरकार ने निलंबन को गलत करार दिया था। इसी तरह प्रधान मुख्य वन संरक्षक रमेश के दवे ने सतना में उंचेहरा और नागौद इलाकों में करोड़ों के अवैध खनन की रिपोर्ट बीजेपी सरकार को दी लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी कोई पुख्ता कार्रवाई नहीं की गई। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बुदनी विधानसभा के नसरूल्लागंज में नर्मदा नदी के किनारे लाइसेंस ना होने के बावजूद यहां धड़ल्ले से रेत निकाली जा रही है। ये इलाका विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज के लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा भी है। लिहाजा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ-साथ सुषमा स्वराज भी विपक्ष के निशाने पर हैं। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के मुताबिक सुषमा स्वराज को पता नहीं ये अवैध खनन का? बेल्लारी में रेड्डी ब्रदर्स और यहां बुदनी में चौहान ब्रदर्स, खूब अवैध खनन कर रहे हैं। जबकि हाल ही में नोएडा में अवैध खनन को लेकर दायर याचिका पर फैसला देते हुए ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आदेश दिया था कि बिना लाइसेंस नदियों के किनारे खनन ना किया जाए और देशभर की सरकारों को ये सुनिश्चित करने के लिए कहा गया था। मगर मध्य प्रदेश में ये आदेश कब और कैसे लागू होगा प्रशासन फिलहाल इस पर कुछ कहने की हालत में नहीं है। 10 हजार करोड़ का घोटाला! मैग्नीज की खदान के दम पर करोड़ों कमाकर सत्ता के गलियारों में दखल बनाने वाले भाजपा नेता सुधीर शर्मा और उनके भाई ब्रजेंद्र शर्मा उर्फ चुन्नू शर्मा के खिलाफ एक मामला अब अदालत की दहलीज पर पहुंच गया है। कोर्ट को कांग्रेस नेता और फरियादी केके मिश्रा ने बताया कि "झाबुआ की कजली डोंगरी में मौजूद मैग्नीज की खदान में 10 हजार करोड़ रूपए का घोटाला हुआ है। यह घोटाला कर्नाटक के बेल्लारी के खनन घोटाले से भी बड़ा है। वहां मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने खदानें आवंटित की थी और यहां फर्जी दस्तावेज तैयार करके सरकार ने खदान आवंटित करवा दी। अब जब मामला सामने आ गया है तो पुलिस इसे दबाने में लगी है। यही वजह है कि कोर्ट की शरण में आना पड़ा।" मिश्रा ने कोर्ट को बताया, "गुजरात हाई कोर्ट ने इस खदान पर वर्ष 2003 में समापक तैनात कर दिया था और इसके बाद इस खदान को हथियाने के लिए शर्मा बंधुओं ने फर्जी और कूटरचित दस्तावेज तैयार किए। ये दस्तावेज वर्ष 2002 में बनाए गए।" विशेष न्यायाधीश डीएन मिश्र के सामने आए इस मामले में परिवाद के क्षेत्राधिकार पर भी सुनवाई हुई। फरियादी की ओर से एडवोकेट मनोहर दलाल ने कोर्ट को बताया कि खदान आवंटन को लेकर दस्तावेज इंदौर में तैयार किए गए। स्टांप की खरीदी भी इंदौर जिला कोर्ट से ही हुई है, लिहाजा, यह मामला इंदौर कोर्ट के न्याय क्षेत्र में आता है। कोर्ट ने पक्ष सुनकर फैसले के लिए 7 अगस्त की तारीख तय की है। मिडडे मील में 500 करोड़ का घोटाला बिहार में मिड डे मील खाने से 22 बच्चों की मौत के बाद मिड डे मील बांटने में लापरवाही, भ्रष्टाचार सिर्फ बिहार तक ही सीमित नहीं बल्कि एमपी में हालात बदतर हैं। सुशासन का दम भरने वाले शिवराज सिंह चौहान के इस राज्य में मिड के मील के नाम पर 500 करोड़ रुपये बोगस कंपनियों को दे दिये गये। ये हाल तो तब है कि मध्य प्रदेश में लगभग 80 लाख बच्चे कुपोषित हैं। इनमें से 52 फीसदी ग्रामीण इलाकों से हैं। फर्जी कंपनी का सच मप्र एग्रो इंडस्ट्री डेवलेपमेंट कॉर्पोरेशन ने तीन संयुक्त वेंचर बनाए। कॉर्पोरेशन ने खाना बनाने और स्पलाई करने की जिम्मेदारी ली। कॉर्पोरेशन ने इन वेंचर में 11 फीसदी की हिस्सेदारी रखी। इसमें से एक वेंचर फर्जी दस्तावेज से बना था। सितंबर 2008 में राज्य कृषि उद्योग विकास निगम ने अखबार में एक टेंडर आंमत्रित किया था। इस टेंडर के मुताबिक निगम ने भोजन बनाने और सप्?लाई करने के लिए एक एससी, एसटी पाटर्नर की मांग की थी। इसमें इंदौर की एक कंपनी अनिल उद्योग को चुना गया लेकिन बाद में यह पता पड़ा कि कंपनी का मालिक तो राहुल जैन है। कंपनी के मालिक के पास फर्जी दस्तावेज एमपी एग्रो-न्यूट्रो फूड्स लिमिटेड कॉरपोरेट मंत्रालय में भी दर्ज थी, लेकिन जांच के बाद यह पता चला कि इस कंपनी का ऑफिस वहां से ऑपरेट होता है जहां अनिल इंडस्ट्री का ऑफिस है। कॉरपोरेट मंत्रालय से पाए गए दस्तावेजों से यह साफ होता है कि राहुल जैन की पहुंच मंत्रियों तक है तभी वह मिड डे मील भोजन की योजना में घालमेल करने में सफल हुआ है। नमक खरीद में करोड़ों घोटाला हुआ मध्यप्रदेश में नमक की खरीदी में करोड़ों रुपए के घोटाले का आरोप लगाते हुए कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मप्र नागरिक आपूर्ति निगम की वर्तमान दोषपूर्ण नमक खरीदी प्रक्रिया को तत्काल निरस्त किए जाने की मांग की है। सिंह ने मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में दावा किया कि पिछले वर्ष नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा आईएसआई मार्का नमक की खरीदी 6700 रुपए प्रतिटन के आधार पर की गई थी, जबकि यह नमक गुजरात में 3300 प्रति टन के भाव से आसानी से उपलब्ध था। उन्होंने कहा कि इससे साबित होता है कि लगभग दुगने से भी अधिक दाम पर की गई, इस खरीदी में करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार हुआ है। सिंह ने आरोप लगाया कि अपनी चहेती कंपनियों को आदेश दिये जाने के लिए निगम द्वारा निविदा में जानबूझकर ऐसी शर्ते डाली जा रही हैं, जिससे खुले बाजार में कंपनियां भाग ही नहीं ले पाएं। उन्होंने कहा, ''सरकारी खरीदी प्रक्रिया की पहली और अनिवार्य शर्त यह होती है कि वह पूरी तरह पारदर्शी, निष्पक्ष और साफ सुथरी हो, जिससे कि कोई उस पर उंगली नहीं उठा सके। लेकिन जो प्रक्रिया नमक खरीदी के लिए अपनाई जा रही है उसमें एक नहीं दर्जनों उंगलियां एक साथ उठ रही हैं।ÓÓ सिंह ने मुख्यमंत्री से मप्र नागरिक आपूर्ति निगम की वर्तमान दोषपूर्ण खरीदी प्रक्रिया को तत्काल निरस्त करने और व्यवहारिक एवं औचित्यपूर्ण शर्ते शामिल करते हुए पुन: निविदा जारी करने की मांग करते हुए कहा कि इससे वास्तविक क्षमता वाली कंपनियां खुली प्रतिस्पर्धा में शामिल हो सकें और प्रदेश भी सरकारी खजाने पर संभावित करोड़ों रुपए की हानि से बच सके।

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