गुरुवार, 26 सितंबर 2013

घोटालों की भेंट चढी 24 घंटे बिजली सप्लाई योजना

एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान कहते ​िफर रहे हैं कि प्रदेश में विगत 60 वर्षो में कांग्रेस जो विकास कार्य नही कर पायी उसे प्रदेश की भाजपा सरकार ने मात्र 8 वर्षो में कर दिखाया है। उनका दावा है कि कांग्रेस के शासनकाल में बिजली व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई थी। आज 24 घंटे बिजली दी जा रही है। जबकि हकीकत यह है कि बिजली संकट झेल रहे मध्यप्रदेश में बिजली केवल राजनैतिक लाभ का मुद्दा है। भाजपा शासन की स्थापना ही बिजली संकट के कारण हुई थी, लेकिन 10 साल बीत गये राज्य में बिजली संकट कम नहीं हुआ है, बल्कि पहले से ज्यादा गंभीर हुआ है। एक ओर तो बिजली संकट है, तो दूसरी ओर बिजली संकट दूर करने के नाम पर बिजली खरीद और आपूर्ति में भारी घोटाले हो रहे हैं। भाजपा सरकार ने प्रदेश में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला बिजली खरीदी का किया है। 6 साल में 20 हजार करोड़ रुपए की बिजली खरीदी गई लेकिन यह कहां गई, कोई बताने वाला नहीं है। लैंको ने लगाया 83.63 करोड़ की चपत निजी बिजली कंपनी लैंको पावर ट्रेडिंग लिमिटेड गुडग़ांव ने प्रदेश की पावर ट्रेडिंग कंपनी को 83.63 करोड़ की चपत लगा दी। तीन साल पहले हुए गड़बड़झाले का खुलासा ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है। ऑडिट आपत्ति के बाद पावर ट्रेडिंग कंपनी ने लैंको पावर की 5 करोड़ रूपए की सुरक्षा निधि जब्त की। इसके बाद कंपनी विद्युत नियामक आयोग में प्रकरण दायर किया। ये है मामला लैंको पावर ट्रेडिंग लिमिटेड ने मई 2010 में मध्यप्रदेश पावर ट्रेडिंग कंपनी से 100 मेगावाट बिजली खरीदने का करार किया। अनुबंध में ये शर्त थी कि यदि लैंको पावर बिजली खरीदने में असफल होती है तो वह पावर ट्रेडिंग कंपनी को क्षतिपूर्ति राशि अदा करेगी। लैंको पावर ने जुलाई 2010 से मार्च 2011 तक बिजली नहीं खरीदी। इसके एवज में मध्यप्रदेश पावर ट्रेडिंग कंपनी ने 83.63 करोड़ रूपए की क्षतिपूर्ति की मांग की, लेकिन लैंको पावर ने क्षतिपूर्ति देने से इनकार कर दिया। ऐसे हुई लापरवाही अनुबंध के अनुसार पावर ट्रेडिंग कंपनी को लैंको से एक माह की बिजली बिल के बराबर यानी 65.51 करोड़ रूपए की सुरक्षा निधि जमा करानी थी। मप्र पावर ट्रेडिंग कंपनी के अधिकारियों ने केवल 5 करोड़ रूपए बतौर सुरक्षा निधि जमा कराए। इसकी वजह से कंपनी क्षतिपूर्ति राशि वसूल नहीं कर पाई। पावर मैनेजमेंट कंपनी के कमर्शियल डायरेक्टर केसी बड़कुल कहते हैं कि लैंको पावर से क्षतिपूर्ति वसूली के लिए विद्युत नियामक आयोग में प्रकरण दायर किया गया है। वर्तमान में प्रकरण नियामक आयोग में विचाराधीन है। पहले ब्लैकलिस्टेड, फिर बिजली खरीदी लैंको पावर ने वर्ष 2007 में पावर ट्रेडिंग कार्पोरेशन के जरिए मध्यप्रदेश पावर ट्रेडिंग कंपनी को 2.19 रूपए प्रति यूनिट की दर से 300 मेगावाट बिजली देने का करार किया था। वर्ष 2009 में लैंको पावर ने बिजली देने से इनकार दिया। इस मामले में मध्यप्रदेश पावर ट्रेडिंग कंपनी अदालत में भी गई, लेकिन राहत नहीं मिली। इसके बाद राज्य शासन ने लैंको पावर को ब्लैकलिस्ट कर दिया। वर्ष 2012 में राज्य सरकार ने लैंको पावर को ब्लैकलिस्ट की सूची से बाहर करते हुए फिर से बिजली खरीदी करने का करार कर लिया। उल्लेखनीय है कि लैंको इन्फ्रा टेक लिमिटेड की सहायक कंपनी लैंको अमरकंटक पावर लिमिटेड (एलएपीएल) को समझौते के अनुसार बिजली की आपूर्ति न करने पर मध्य प्रदेश में ब्लैक लिस्ट किया गया था। मध्य प्रदेश पॉवर ट्रेडिंग कंपनी नें एलएपीएल से वर्ष 2006 में मध्य प्रदेश को 2.28 रुपये प्रति यूनिट पर 300 मेगावाट बिजली की बिक्री करने का पॉवर पर्चेज एग्रीमेंट किया था। लेकिन बाद में कंपनी ने इसको नकारते हुए केवल 150 मेगावाट बिजली ही सप्लाई करने पर सहमति जताई। जिसे राज्य सरकार ने अस्वीकार कर दिया। खरीद समझौते की अवधि समाप्त हो गई है। राज्य सरकार अवधि समाप्त होने के बाद 150 मेगावाट लेने को तैयार हो गई थी लेकिन कंपनी इतनी भी सप्लाई देने से मना कर दिया है।उसके बाद ही राज्य सरकार ने इस मामले पर विचार करने के लिए राधवजी की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने सिफारिश की थी कि यदि कंपनी समझौते के अनुसार बिजली की आपूर्ति नहीं करती है तो कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया जाए और उसके बाद कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया था। कांग्रेस ने गिनाए भ्रष्टाचार नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का कहना है कि मध्यप्रदेश में भाजपा ने अपने इस कार्यकाल में प्रदेश की संपदा को जिस बेरहमी से लूटा है, उसकी ऐसी मिसाल पहले कभी भी देखने को नहीं मिली। जिन क्षेत्रों में और जिन कार्यों में भाजपा के सत्ताधारियों ने घोटाले करते हुए प्रदेश को चूना लगाया है, उनमें से कुछ की बानगी देखते ही बनती है। इन घोटालों में सत्ता प्रमुख भी किसी मंत्री, अफसर या कार्यकर्ता से पीछे नहीं रहे। घोटालों की सूची पर एक नजऱ :- 1. डम्पर घोटाला, 2. सिंहस्थ घोटाला 3. पेंशन घोटाला, 4. भूमि घोटाला, 5. भाजपा पार्षदों का घोटाला, 6. दवा खरीदी घोटाला, 7. डी-मेट घोटाला, 8. नर्सिंग घोटाला, 9. स्वास्थ्य विभाग में घोटाला, 10. पोषण आहार घोटाला, 11. रिलायंस फ्रेश को मुख्यमंत्री ने मंजूरी क्यों दी। 12. सर्वशिक्षा अभियान घोटाला, 13.इंदौर नगर निगम घोटाला, 14. नगर सुधार न्यास रतलाम घोटाला, 15, भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला भाजपा सरकार का काला कानून, 16.लोकायुक्त को कमजोर करने की साजिश, 17. भ्रष्टाचार के सवालों का जवाब नहीं, 18. विदेश यात्रा घोटाला, 19. भ्रष्टाचार को संरक्षण का एफीडेविट घोटाला, 20.ब्लड बैंक घोटाला, 21. आते-जाते पकड़ाये रुपये 22.बाढ़ राहत घोटाला, 23.चंदा न देने पर ट्रांसफर, 24.भाजपा नेताओं के अधिकारियों के फोन, 25. बिजली खरीदा और वितरण में घोटाला, 26. माइनिंग घोटाला, 27. रोजगार गारन्टी योजना में घोटाला, 28, यूनिफार्म घोटाला, 29, गाय बैल खरीदी घोटाला, 30, भर्ती घोटाला, 31, हरियाली और तालाब घोटाला, 32, पुस्तक खरीदी घोटाला,33, ऋण वितरण घोटाला, 34,मधयान्ह भोजन घोटाला, 35,प्रधानमंत्री सड़क घोटाला, 36.सिंचाई घोटाला, 37.तबादलों में घोटाला, 38.इन्श्योरेन्स घोटाला, 39, सड़क निर्माण में घोटाला, 40,चंदा घोटाला,41, सार्वजनिक वितरण प्रणाली घोटाला, 42,परिवहन घोटाला, 43,आंगनबाड़ी भर्ती घोटाला, 44 पुरस्कार घोटाला, 45. बी.टी. कॉटन घोटाला, 46,यूरिया घोटाला, 47. ड्रिप स्प्रिकलर अनुदान घोटाला, 48. दूधा घोटाला, 49,श्रेय घोटाला, 50. पदोन्नति घोटाला, 51.परीक्षा घोटाला, 52.मंदिर में घोटाला, 53.रेत घोटाला, 54.गौ-शाला अनुदान घोटाला, 55,टेक्स घोटाला, 56.तकनीकी घोटाला, 57. वृक्षारोपण घोटाला, 58. नर्मदा घाटी में घोटाला, 59, माईनिंग घोटाला, 60. शस्त्र घोटाला, 61. यौनशिक्षा घोटाला, 62.पुरानी विधानसभा परिसर जमीन घोटाला, 62, तौल कांटा घोटाला, 64, मंदिर कमाली ट्रस्ट घोटाला, 65. कम्प्यूटर खरीदी घोटाला, 66. विज्ञापन घोटाला, 67. सड़क घोटाला, 68, कम्प्यूटर खरीदी घोटाला, 66. विज्ञापन घोटाला, 67. सड़क घोटाला, 68, टोल टेक्स घोटाला, 69, स्वास्थ्य विभाग में भर्ती नियुक्ति घोटाला, 70. यंत्र खरीदी घोटाला, 71.अभियोजन की स्वीकृति नहीं दिये जाने का घोटाला, 72.नलकूप खनन घोटाला, 73.बच्चों की खरीदी बिक्री में घोटाला,74. एनकाउन्टर घोटाला, 75. आदिवासी क्षेत्रों में क्ल्स्टर योजना घोटाला, 76.साईकिल घोटाला, 77. तकिया, गद्दा घोटाला, 78. फर्नीचर घोटाला, 79, पत्रकारों के नाम पर अफसरों द्वारा सत्कार एवं टैक्सी घोटाला।

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